Thursday, September 25, 2008

पलकों की चौखट ......















पलकों की चौखट पे बैठा, किस को निहारा करता है
यादों की चादर से लिपटा
ज़ख्म उभारा करता है

अब्र में देखो आब नही है, दरिया जलता रहता है
सब्र के कंधों पर सर रख कर उम्र गुज़ारा करता है


माजी के हांथों से सदियाँ तारीख़ सवार करती है
छोड़ के अब जागीर वफ़ा वो गम से गुज़ारा करता है



सहेर सहेर ढूंढ चुका वो दरिया दरिया टो आया
ख़ुद ही जुदा हो कर हमसे हमको पुकारा करता है


वक्त की सोहबत मे रेह कर वो वक्त सरीखा लगता है
आँखों मे उम्मीदें धर कर पल पल मारा करता है


साहिल खवाहिश दूर खड़ा है,बाँहों मे अब ज़ोर नही
जाने
कौन मसीहा है जो मुझको उबारा करता है


Monday, September 22, 2008

कुछ आज़ाद शेर.....

ये हवाएं तेरी ज़मीन से आई थी
मेरी मिट्टी मे नही था बेवफा होना

मेरे घर की तासीर कड़वी ही सही, मगर
मैंने सिखा नही था मिश्री से ज़हर होना

ढूंढते कोई और बहाना दूर होने का
मुझे तो आता ही नही था तुझसे ख़फा होना

ये वक्त का तकाज़ा था या तादीर मेरी
पानी मे लिखा था मेरा धुंवा होना


अब मैं मैखाने के जानिब ही जाऊंगा
बहुत हो चुका अब मेरा ख़ुदा होना

खेल ही खेल मे हालात बदल जाएंगे
हमको मालूम था यूँ दाना होना

दिल की हसरत निगाहों से कही थी हमने
उल्फत ने जाना नही था अभी ज़ुबां होना

Friday, September 19, 2008

हम दोस्त क्या बनायेंगे















फुर्सत नही अब काम से हम दोस्त क्या बनायेंगे

मिलना भी हो जाएगा गर कभी राह मे मिल जायेंगे


मिल के ना हांसिल होगा उन्हें कुछ ना हमही कुछ पाएंगे

बस गीली ऑंखें लिए फिर से दोनों जुदा हो जायेंगे


हम भीकभी याद आयेंगे वो भी कभी रुलाएं

दो-चार ज़स्ब दरमियाँ अगर कहीं रेह जायेंगे


ये पुख्ता सलाखें वक्त की रिहा होने देगी नही

हर लम्हा अब काश! काश! कर के हम बिताएंगे


दिन गुज़ारा किए हम जिनका तसवुर लिए

शब् तलक वो नुरानी चेहरे चाँद से हो जायेंगे


Monday, September 15, 2008

दुआ क्या है


दिल से निकली ये दुआ क्या है

आज माज़ी को फिर हुआ क्या है



इन लड्ते हुए मजहबों से

कोई पूछे के ख़ुदा क्या है

पहले नाजा बन के आई थी

बन के आई इस दफा क्या है


उसे हुई है गलफ़त तेरी

इस वहम की अब दावा क्या है


जब खुदा ही पलट गया तेरा

अब तू औरों से ख़फा क्या है


रिंद भी वाइज़ बन जायेंगे

पिने दो अभी खता क्या है


वो कहते है खु वफ़ा नही

अब बताएं की बचा क्या है


कोई जाए ज़रा उनसे सीखे

दिल तोड़ने की अदा क्या है