Friday, September 5, 2008

वो ही बातें बा_रहां दोहराईं है मैंने


अक्सर वो ही बातें बा_रहां दोहराईं हैं मैंने
मिटा
मिटा कर तेरी तस्वीरें बनाईं है मैंने

जिस
हंसीं फरेब से ता_उम्र तौबा किया था
फिर वो ही गज़लें आज महफिल मे गाईं हैं मैंने

मेरी आँखों के अब कोई सागर ना लुटे
बहुत
टूट हूँ तब ये नदियाँ बहाईं है मैंने

मेरी आदत में नही था यारों दर्द रोना
बहुत बेबस में ये मजबूरियाँ सुनाई है

मैंने
मुद्दतों बाद फिर हँसते देखा है उनको
उनकी तकलीफें आज ख़ुदा को बातईं है मैंने

फिर जीने की दिल को हसरत सी हुई है
एक
बार फिर कमजोरियाँ जताईं है मैंने

1 comment:

Anonymous said...

È Puta do Caralho