जब भी टुटा हूँ तो, कभी बिखरने नही देता
मेरा दिल भी मगर साबुत रहने नही देता
किस किस्म की जाने वफाएं निभाता है मुझसे
ज़ख्म-ऐ-मार्ग दे कर भी मरने नही देता
हर बात मे मेरी ऐब निकलता है आदतन
जो खामोश भी रहूँ तो चुप रहने नही देता
पास रहे तो बहुत प्यार जताता है मुझसे
दूर होते ही ज़रा भी तवजू नही देता
ज़िक्र-ऐ-जुदाई से ही, रोता है हिचकियाँ लेकर
और हसरत-ऐ-विसाल भी पुरी करने नही देता
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