थक गए साथ चलते चलते किनारे नदी के
कभी तो ख़ुदा, रस्मे बदल, उन्हें भी जोड़ दे….
है बहुत एतराज़ उन्हें मेरी बादाखोरी पर,
दिल तो तोड़ ही दिया, ले अब पैमाने भी तोड़ दे..
तुम्हे होगा शौक़ तजुर्बे हांसिल करने का
पर ,मुझे मेरी खामियों के साथ ही छोड़ दें …
न पढ़ें वो मेरी किताब न सही, मगर
मेरी तस्सली क लिए, चंद पन्ने ही मोड़ दें ....
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