Friday, September 5, 2008

काश

आँखों में जिन्दगी रो पढ़ी
हमने भी पलकों से उसे डंक लिया
सुबह देखा जो आईना
ख़्वाब था वहां एक टुटा हुआ


जुल्फों का जंगल
चेहरे पर लेहरा रहा था
यूँ खुले थे हैरत से होंठ , जैसे
कोई दरीया हो साहिल से छूटा हुआ

मैंने तेरी तस्वीर से दीवार
लगा रखी थी
तेरे नाम से ही बचाया है
तेरे बाद , घर अपना टुटा हुआ

सारी रात जागती रही चादर मेरी
नींद कुछ यूँ खफा रही मुझ पर
इस वक्त ने अचानक बदली करवट ऐसी
हर लम्हा मिला मुझको रूठा हुआ .............................


काश जिंदगी के सिरों की ख़बर होती
काश वक्त क पैरों में पाजेब होती
काश मैं पुरा कर पता एक किस्सा छूता हुआ
काश मैं भी जोड़ पता एक रब्त टुटा हुआ .............काश ....

1 comment:

Vinay Jain "Adinath" said...

kash tere chahre ki uljhee jhulfo ko main suljha sakta,
jin deevaro per lagee thi teri tasveer,us makan ko tutne se bacha sakta.........


nice lines........
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www.vinayjainadinath.blogspot.com