दर्द बढ़ कर जाने कब फुघां हो गया
वो ज़मी से बिछडा आसमां हो गया
आग ऐसी गफ़लत की लगाई मैंने
उस में जल के मैं धुवां हो गया
यह तू कैसा जुदा हुआ मुझसे
अब तू ही तू हर जगह हो गया
हमने तो रात की पलकों पे पर धरे थे आंसू
कैसे नम सेहर का समां हो गया
तेरे पहलु में क्या आई मौत हमे
हमे अपनी इस मौत पे गुमा हो गया
तू रख ले दुनिया अपनी खातीर
हमारे वास्ते गैर ये जहाँ हो गया
दिव्य हिमाचल टीवी | सतपाल ख़याल | नई ग़ज़ल
1 week ago
1 comment:
तेरे पहलु में क्या आई मौत हमे
हमे अपनी इस मौत पे घुमा हो गया
aakhari hichki bhi tere jano pe aaye maout bhi ab maine shyrana chahta hun.............
bahut khoob .................
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