Sunday, September 7, 2008

....triveniyan


# सड़कें मेरी गलियों की ख़राब थीं शायद
ख्वाबों का काफिला उतर नही पाया

खैर बारिश तो गड्ढे भर ही देगी





# सुख कर भी टहनी से लटकता रहा वो पत्ता

उसे हवाओं को जबरन गिरना पड़ा था


उस बुधे की ज़रूरत नही थी किसी को


No comments: