ग़म है तन्हा , यूँही तन्हा रह जाएगा
जो मैंने भी ना अपनाया तो कहाँ जाएगा
अश्क खरा ही सही, चलो कोई तासीर तो है
ना रोकूँ इसे तो यूँही बेसबब बह जाएगा
मिल जाएँगी सभी सूरतें खाक़ में एक दिन
एक इमां ही मेरा, मेरे साथ वहां जाएगा
आगोष में लिए मिट्टी ने कहा बड़ी देर के बाद
इस जिस्म की ज़रूरत नही तुझे, तू जहाँ जाएगा
तू एक अदना सह्फीना है और दूर तक दरिया
लहर-ऐ-गफलत पूछे अब कहाँ-कहाँ जाएगा
कभी खुदा बशर बन जो आजाये ज़मी पर
वो भी सबसे पहले तेरे ही यहाँ जाएगा…
3 comments:
EXCELLENT
BAHUT KHOOBSOORAT !!
लाजबाव, बेहतरीन !
एक बहुत पुरानी ग़ज़ल मिली है
फिर यादों की चाक सिली है
यादों के कतरे दिल के दुःख
पीडा फ़िर भी खुशी मिली है
दो लाईने जोड़ी हैं कृपया ध्यान दे
कृपया पधारें
http://manoria.blogspot.com and http://kanjiswami.blog.co.in
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