एक बहुत पुरानी ग़ज़ल मिली है
फिर यादों की चाक सिली है
तेरे ख्वाबों का था एक बीज लगाया
आज उन पर एक कलि खिली है
आधी राह में मुझको छोड़ गए थे
आधी ही तब से साँस चली है
तेरे जाते ही सब भष्म हुआ था
अब तक तो बस राख जली है
दिव्य हिमाचल टीवी | सतपाल ख़याल | नई ग़ज़ल
6 months ago
1 comment:
ghazal mein koi kami nahi...
but spelling mistakes hain...and i'll keep pointing out jab tak, aap perfect nahin ho jaate...hindi mein...
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