मांगी है उसने तस्वीर मेरी निशानी की तरह
रह गया हूँ मैं सिर्फ़ भूली कहानी की तरह
मेरे तजुर्बे मेरे कातिल से अगल निकले
आया वो था दौर’ऐ उम्र में जवानी की तरह
ना भुला कभी ना कभी बुलाया उसको
उमीद की थी उसकी बहर में बादबानी की तरह
जाने का अंदाज़ भी तकलुफाना था बड़ा
बह गया चस्म से खामोश पानी की तरह
Mangi hai usne tasveer meri nishani ki tarah
Reh gaya hun main srif bhuli kahini ki tarah
Mere tazurbe mere qatil se agal nikale
Aaya wo tha daur’e umr mei jawani ki tarah
Na bhula kabhi na kabhi bulaya usko
Umid ki thi uski behr mei badbani ki tarah
Jane ka andaaz bhi takalufana tha bada
Beh gaya chasm se khamosh paani ki tarah
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