जाने क्या क्या ख्याल, आते हैं मुझे सर’ऐ शाम से
उठा है धुवा, ए शोले’ऐ सनम तेरी नाम से
वो निगाह ’ऐ यार क्या मिली , ये दिल गया मेरा काम से
बेदाग़ मैं भी न रह सका, एस इश्क के इल्जाम से
कभी शब् रोशन बीसाल’ऐ यार से कभी फ़िराक़’ऐ जाम से
सच यह है क होता है बसर बस यहाँ तो तेरे नाम से
जुम्बिश 'ऐ जिगर बढी फक़त मील के पैगाम से
अब तक हुई नही मुलाकात'ऐ सहर जाने कितनी शाम से
हुआ है घुमा माह जाने क्यूँ उसे आपने नाम से
बार बार हँसता है जोड़ कर मेरा नाम अपने नाम से
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