Tuesday, August 19, 2008

दलील जींदगी है ज़ुम्बीश जीगर

इसबात उमीद है मुन्ताजीर नज़र


इश्तीहर मार्ग मजीं निजात गम से

कब के मर जाते सच होती ये तश्हीर अगर

माजीं = देकोरातेद

तश्हीर= मिसिंफोर्मेशन




फीगार अक्ल और यह उलझन हयात

तो अफ्सुर्दः आरजू का है मिटना ही बेहतर

अफ्सुर्दः=लिफेलेस; फिगार अक्ल= कांफुसेद



देखता एहल जहाँ ज़ोर वफ़ा मेरी

सवाल घैरत यार ना होता अगर





ये हसरत आशीकी हम भी पुरी करते

वजूद अजम का बवाल ना होता पर

वजूद अजम= डिसीजन ऑफ़ लाइफ







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