Saturday, August 30, 2008

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कभी
कभी बारीश के बाद
आसमान को सुर्ख होते देखा है
जैसे बहुत रोने बाद
अक्सर ऑंखें हो जाती हैं
इस आसमा को तो
घम छुपाना भी नही आता ......




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