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कभी कभी बारीश के बाद
आसमान को सुर्ख होते देखा है
जैसे बहुत रोने क बाद
अक्सर ऑंखें हो जाती हैं
इस आसमा को तो
घम छुपाना भी नही आता ......
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दिव्य हिमाचल टीवी | सतपाल ख़याल | नई ग़ज़ल
6 months ago
meri zustaju na sanam, main khawab hun bas raat ka yunhi likh diya hai kuch, jab hua zikr use baat ka
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